Friday, 27 December 2013

हम देते रहे हैं सदा पैगामे मुहब्बत

Kehta he zamana hameN naakam e muhabbat--
HaNs haNs ke sahe ham ne jo aalaam e muhabbat-- 

Nafrat ko kabhi dil meiN basaya nahiN humne
Hum dete rahe haiN sada paigham e mohabbat --

Hai aaj bhi dil ko unhiN zakhmoN se sarokar
Samjha he unheN aaj bhi inaam e muhabbat--

Ik cheez he aisi jo chupaye na chhupegi
Wo naam e muhabbat he aji naam e mohabbat --

Aashiq ne kafan pehna he duniya ki nazar meN
"Haadi" ki nazar meN he ye ehraam e muhabbat--
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कहता है ज़माना हमें नाकामे मुहब्बत
हंस हंस के सहे हमने जो आलामे मुहब्बत

नफरत को कभी दिल में बसाया नहीं हमने
हम देते रहे हैं सदा पैगामे मुहब्बत

है आज भी दिल को उन्हीं ज़ख्मों से सरोकार
समझा है उन्हें आज भी इनामे मुहब्बत

इक चीज़ है ऐसी जो छुपाये न छुपेगी
वो नामे मुहब्बत है अजी नामे मुहब्बत

आशिक ने कफन पहना है दुनिया की नज़र में
"हादी " की नज़र में है ये एहरामे मुहब्बत

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