Tuesday, 29 March 2011

" Anchhue se "

" Anchhue se "

Tanhai ki sargoshiya'n
jab mere saye se
liptne lagti hai’n
chali aati hai'n
tumahari yade'n
mera hamsaya bankar
aur main unke sath
khincha chala jaata hu'n
un wadiyo'n mei'n
jaha'n
pahado'n ki bulandiyo'n se
pate hai'n haunsla mere azm
rawani itrate dariya ki
ban jati hai ishq ki zuba'n
or gulo'n ki mehak jhukh kar
meri rooh mein hone lagti hai paibast
wahi'n kahi'n ba'ant lete hai'n hum
kuch ankhe se ehsaas
or ji lete'n hai'n
kuch lamhe zindagi ke
Aur jab tanhai tut’ti hai
to rah jate hai'n
sirf kuch
anchhue se andekhe lamhat............

" अनछुए  से  "

तन्हाई  की  सरगोशियाँ
जब  मेरे  साये  से
लिपटने  लगती  हैं
चली  आती  हैं
तुम्हारी  यादें
मेरा  हमसाया  बनकर
और  मैं  उनके  साथ
खिंचा  चला  जाता  हूँ
उन  वादियों  में
जहाँ
पहाड़ों  की  बुलंदियों  से
पाते  हैं  हौंसला  मेरे  अजम
रवानी  इतराते  दरिया  की
बन  जाती  है  इश्क  की  जुबां 
और गुलों  की  महक  झुक  कर
मेरी  रूह  में  होने  लगती  है  पैबस्त 
वहीँ  कहीं  बाँट  लेते  हैं  हम
कुछ  अनकहे  से  एहसास
और  जी  लेते  हैं
कुछ  लम्हे  ज़िन्दगी  के
और  जब  तन्हाई  टूटती  है
तो  रह  जाते  हैं
सिर्फ  कुछ
अनछुए  से  अनदेखे  लम्हात ............

10 comments:

shariq siddiqui said...

behad umda bus kya batau is nazm ko padhkar ek khwabo khyaalo ki duniya me dimaag qadam rakh deta he bahut umda

Unknown said...

itni khoobsurat nazm...ehsasat se bharpoor kya khoob kaha hai....very very nice

Hadi Javed said...
This comment has been removed by the author.
Hadi Javed said...

Shukria Itrat Sahiba aap khud bhi achchi Shayra hain . Shukria

Mayank Awasthi said...

बहुत समर्थ नज़्म है –
तुम मेरे साथ होते हो गोया
जब कोई दूसरा नहीं होता --- मोमिन का ये शेर हक़ीकी और मजाज़ी का अरूज़ ,मर्कज़,मुहब्बत की इंतेहा और शाइरी के चरम पर पहुँचा हुआ शेर है – इस शेर की बुनियाद में जाइये और डिवाइन ऐलीमेंट या फलसफा कुछ कम कर दीजिये एक ईमानदार मुहब्बत जिसमे महबूब के लिये गहरी और सच्ची तड़प है उसका इज़हार नज़्म के फार्मेट
मे कीजिये तो आपकी नज़्म जैसी रचना हासिल होती है --- ये नज़्म कामयाब है – पढते ही इस नज़्म की भाषा उस दुनिया में ले गयी जिसकी तख़लीक नज़्म में की गयी है --- ये तस्व्वुरात की गहराइयों की उस दुनिया मे ले आती है जो सिर्फ कामिल शायरों के पास होती है – मुझे बहुत अच्छी लगी

इस्मत ज़ैदी said...

pahado'n ki bulandiyo'n se
pate hai'n haunsla mere azm
rawani itrate dariya ki
ban jati hai ishq ki zuba'n
or gulo'n ki mehak jhukh kar
meri rooh mein hone lagti hai paivast

bahut khoobsoorat ehsaasaat kee tarjumani

Aeraf said...

behtreen shayri mubarakbaad wah

Aeraf said...

behtreen shayri mubarakbaad wah

अर्चना तिवारी said...

कुछ अनकहे से एहसास
और जी लेते हैं
कुछ लम्हे ज़िन्दगी के
और जब तन्हाई टूटती है
तो रह जाते हैं
सिर्फ कुछ
अनछुए से अनदेखे लम्हात ......

behad khoobsoorat ehsaa

अर्चना तिवारी said...

कुछ अनकहे से एहसास
और जी लेते हैं
कुछ लम्हे ज़िन्दगी के
और जब तन्हाई टूटती है
तो रह जाते हैं
सिर्फ कुछ
अनछुए से अनदेखे लम्हात ......

bahut khoobsoorat ehsaas