Wednesday, 6 July 2011

"हमीं पर जोर और फिर तानाशाही "

हवा का जोर बढ़ता जा रहा है                   Hawa ka zor badhta ja raha hai
खुदाया क्या ये होता जा रहा है                 Khudaya kya ye hota ja raha hai


सियासत में मचा हुडदंग कैसा                 Siyasat mei'n macha hudhdang kaisa
कहाँ जाने वतन ये जा रहा है                   Kaha'n jaane watan ye ja raha hai


 
हमीं पर जोर और फिर तानाशाही          Hami par zor aur phir taanashahi
वफ़ा क्या है ? सिखाया जा रहा है            Wafa kya hai ? sikhaya ja raha hai


समंदर पर चला है जोर किसका              Samandar par chala hai zor kiska
मगर लहरों को रोका जा रहा है               Magar lahro'n ko roka ja raha hai

हमें अब होश कब आएगा अपना             Hame'n ab hosh kab aayega apna
हर एक लम्हा सिमटता जा रहा है           Har ek lamha simt'ta ja raha hai

मुझे एक जिस्म बख्शा था खुदा ने           Mujhe ek jism bakhsha tha khuda ne
जो अब किस्तों में कटता जा रहा है         jo ab kisto'n mei'n kat'ta ja raha hai

वफ़ा और प्यार क्या होते हैं "हादी"        Wafa aur pyar kya hote hai'n "Hadi"
हमें कोई बताता जा  रहा है                   Hame'n koi batata ja raha hai

5 comments:

Anonymous said...

Bahut khoob haqeeqat ko ujagar kia hai.

seema gupta said...

समंदर पर चला है जोर किसका मगर लहरों को रोका जा रहा है
her ek sher apne aap me ek puri gazal hai....behd dilkash adayagi...

regards

!!अक्षय-मन!! said...

nice....

Aslam mir said...

waaaaaaaaaaaaah hadi sab har sher lajawab aapke khayalo ko salam srb

Meynur said...

मुझे एक जिस्म बख्शा था खुदा ने
जो अब किस्तों में कटता जा रहा है

Nice one!!!