Wednesday, 4 January 2012

"एक अधूरी किताब देता है "


"एक अधूरी किताब देता है "
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जिंदगी का निसाब देता है 
एक अधूरी किताब देता है 

हसरतों को शबाब देता है 
उम्र भर का अज़ाब देता है 

वह मुझे इज्तिराब देता है 
बेवफा का खिताब देता है 

बाप कल पूछता था हमसे सवाल 
आज बच्चा जवाब देता है 

दे गया था तुम्हें जो कल खंजर 
"आज तुमको गुलाब देता है "

जिंदगी भर की तिश्नगी के लिए 
चंद कतरे शराब देता है 

छीन कर नूर मेरी आँखों से 
वह मुझे आफताब देता है 

आदमी है जवाबदेह रब का 
क्यूँ जहां को हिसाब देता है 

वक्त का इन्तेज़ार कर "हादी "
वक्त सबका जवाब देता है 
Zindgi ka nisaab deta hai
ek adhuri kitaab deta hai

hasratoN ko shabaab deta hai
umar bhar ka azaab deta hai 

wo mujhe ijtiraab deta hai
bewafa ka khitaab deta hai

Baap kal puchhta tha humse sawaal
aaj bachcha jawaab deta hai 

de gaya tha tumheN jo kal Khanjar
"Aaj tumko gulaab deta hai"

zindgi bhar ki tishnagi ke liye
chand qatre sharaab deta hai

chhin kar noor meri aankhoN se
wo mujhe aaftaab deta hai

aadmi hai jawaabdeh rab ka
kyuN jahaaN ko hisaab deta hai

Waqt ka intezaar kar "Hadi"
waqt sabka jawaab deta hai

7 comments:

Pallavi saxena said...

सारी ज़िंदगी इस लें देन मेन ही गुज़र जाती है शायद इसी का नाम ज़िंदगी है ....समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है

Mayank Awasthi said...

जिंदगी का निसाब देता है
एक अधूरी किताब देता है

बाप कल पूछता था हमसे सवाल
आज बच्चा जवाब देता है

जिंदगी भर की तिश्नगी के लिए
चंद कतरे शराब देता है

आदमी है जवाबदेह रब का
क्यूँ जहां को हिसाब देता है

वक्त का इन्तेज़ार कर "हादी "
वक्त सबका जवाब देता है

बहुत खूब हादी साहब !! ये गज़लें कहाँ छुपा कर रखी थीं -कभी शायर क्लब में भी पोस्ट नहीं कीं -चलिये -इसी बहाने ब्लाग पर पढने को मिल गयीं --ऊपर जो अश आर हैं बहुत खूब कहे हैं !! आदमी है जवाब देह रब का -- लाजवाब शेर कहा है !! मतला बहुत खूब कहा है !! आज तो वक्त हो गया कल फिर आता हूँ ब्लाग पर -मयंक

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

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"आदमी है जवाबदेह रब का
क्यूँ जहां को हिसाब देता है

वक्त का इन्तेज़ार कर "हादी "
वक्त सबका जवाब देता है "
जवाब नहीं हादी जावेद साहब आपका !

हर शे'र लाजवाब है , हर शे'र दिल में उतरने वाला ! वाह वाह !!

आपके ब्लॉग की तमाम ग़ज़लियात के लिए यही राए है…

मयंक साहब के कहने के बाद किसी रचना के लिए कुछ कहना बाकी नहीं रह जाता … :)

और हां,
अभी आपकी ग़ज़ल 'गुज़ारता रहा हूं मैं… ये ज़िंदगी है ख़्वाब-सी' भी यू ट्यूब पर सुनी है NAFEES SIDDIQUE जी की ख़ूबसूरत आवाज़ में
डूब गया हूं …

आपको और नफ़ीस जी को बहुत बहुत बधाइयां !

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...








हार्दिक शुभकामनाओं-मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार

Mayank Awasthi said...

राजेन्द्र स्वर्णकार साहब !! आपके मेयार और आपके स्वर का सिर्फ राजस्थान ही नहीं हिन्दुस्तान काइल है -- बहुत शुक्रगुज़ार हूँ आपकी शिरकत का --मयंक

Kapil Sharma said...

Har sher ek se badhkar ek khubsurat
Padhkar bahot skun mila

इस्मत ज़ैदी said...

जिंदगी भर की तिश्नगी के लिए
चंद कतरे शराब देता है

छीन कर नूर मेरी आँखों से
वह मुझे आफताब देता है

बहुत उम्दा हादी भाई ,,ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिये दाद क़ुबूल फ़रमाएं !