Sunday 27 February 2011

" सारे जहां से अच्छा "

भारत वर्ष दुनियां का वो देश है जिसमें तमाम मज़हब , तमाम ज़ात , तमाम ज़बानों के लोग आपस में प्यार मोहब्बत से हर सुख दुःख निभाते हुए सदियों से साथ साथ रह रहे हैं | इस मुल्क में बिना किसी तफरीक के कोई भी अपनी बात कहने के लिए आज़ाद है | उसी आज़ादी के तहत कुछ लोग मुल्क को तबाहो बर्बाद करने की साज़िश रच रहे हैं ऐसे लोग इस मुल्क को बर्बाद तो नहीं कर सकते लेकिन कुछ नुकसान ज़रूर पहुंचा सकते हैं | ये मुल्क गंगो जमनी तहजीब वाला मुल्क है इसकी अपनी रवायतें हैं उन रवायतों पर चलकर इस मुल्क को आलिशान बनाया जा सकता है | आईये हम लोग इस मुल्क को तमाम तर साजिशों से बचाते हुए तरक्की की राहों पर लेकर चलें |
इस मौके पर मुझे अल्लामा इकबाल का ये तराना याद आ रहा है 
" सारे जहां से अच्छा हिन्दोसिता हमारा ,
हम बुलबुलें हैं इसकी ये गुलसिता हमारा"

5 comments:

seema gupta said...

सारे जहां से अच्छा हिन्दोसिता हमारा ,
हम बुलबुलें हैं इसकी ये गुलसिता हमारा
regards

Hadi Javed said...

Thanks Seema ji Blog per aane ke liye aapne meri hausla afzai ki

Jawwad Hussain said...

bahut achcha kaha hai bhaisahab aapne,ye bahut achcha blog hai

Salim Raza said...

taj mehal se jaa kar poocho kaisee thi mumtaz mehal-

shahjahan ka lehja bankar paththar paththar bolega

Aeraf said...

सारे जहां से अच्छा हिन्दोसिता हमारा ,
हम बुलबुलें हैं इसकी ये गुलसिता हमारा
mera bharat mahaan