९ अप्रैल २०११ को मैनपुरी के मुशायरे में (बाएं से दायें)
मैं (हादी जावेद) मंसूर उस्मानी साहब, सर्वत जमाल साहब, अकील नोमानी साहब
(Admin group Of Shair Club)
१० अप्रैल २०११ को मैनपुरी के मुशायरे में जनाब मंसूर उस्मानी साहब , जनाब अकील नोमानी साहब और जनाब सरवत जमाल साहब तशरीफ़ लाये थे मैं भी इस मुशायरे मैं शामिल था तभी की खीची गए ये तस्वीर इतेफाक से हम चारों लोग facebook के ग्रुप शायर क्लब के admin हैं दोस्तों
आदाब
९ अप्रैल २०११ दिन शनिवार को जब मुझे जनाब मंसूर उस्मानी साहब के ज़रिये पता चला कि आज मैनपुरी में मुशायरा है और उसमें शिरकत करने के लिए अमेरिका से इशरत आफरीन साहिबा , वसीम बरेलवी साहब , अकील नोमानी साहब , डॉ. कैसर कलीम साहब , नुसरत मेहदी साहिबा , आलोक श्रीवास्तव साहब सर्वत जमाल साहब , मदन मोहन दानिश साहब, शरीफ भारती साहब, मेघा कसक साहिबा, मनीष शुक्ल साहब , वगेरा आ रहे हैं तो लगा की वाकई आज शायरी के हवाले से मुशायरे में बात होगी ] मैं मुशायरा सुनने मैनपुरी चल दिया
रात को जब मुशायरा गाह में पहुँचता हूँ तो लगा की हाँ आज मैं शायरी सुनने आया हूँ मैं पिछले २० सालों से मुशायरा सुनता आ रहा हूँ लेकिन मैंने ऐसे मुशायरे बहुत कम सुने हैं जिसमें मुशायरेबाज़ी न हो चूँकि आगरा मंडल और मुरादाबाद के मुशायरों में शरीक होता रहा हूँ और ये दीवानगी की हद तक है की शायर न होते हुए भी मैं मुशायरा सुनने जाता हूँ
मैनपुरी के मुशायरे की कमान हिरदेश सिंह साहब के हाथों में थी जिनके भाई जनाब पवन सिंह साहब I A S हैं और खुद भी ब्लॉगर हैं उनका लगाव इस हद तक देखकर मैं बहुत प्रभावित हुआ मुशायरे की सारी जिम्मेदारियां उन्होंने अपने ऊपर ओड रखी थी और बहुत कुशलता पूर्वक निभाया भी इस कामयाब मुशायरे की मैं उन्हें बधाई देना चाहता हूँ जिस तरह उन्होंने अंतिम पढ़ाव यानि विदा करने तक की ज़िम्मेदारी खुद उठाई इस वाके ने मेरे दिल में उनके लिए बहुत इज्ज़त पैदा कर दी और मैं उनका ममनून हूँ की उन्होंने मैनपुरी से फिरोजाबाद तक के मेरे सफ़र को यादगार सफ़र बना दिया क्यूंकि उस दोरान मोहतरमा इशरत आफरीन साहिबा उनके खाविंद जनाब परवेज़ जाफरी साहब और मैं एक ही गाढ़ी में थे रास्ते की गुफ्तगू को मैं शायद नहीं भुला पाऊंगा..
इसके अलावा मुशायरे मैं बेहतरीन शायरी सुनने को मिली
इस बेमिसाल मुशायरे की बेहतरीन निजामत जनाब मंसूर उस्मानी साहब ने की मंसूर उस्मानी साहब किसी तारुफ़ के मोहताज नहीं हैं बैनुल अक्वामी तौर पर उर्दू जानने और मुशायरे के सामईन उन्हें बखूबी जानते हैं उन्होंने मंच से जब मेरा तारुफ़ इन्टरनेट के हवाले से मेरे चैनल www.Youtube.com/hadijaved2006 और फेसबुक के मेरे ग्रुप शायर क्लब का करवाया तो मेरी आँखों में ख़ुशी के आंसू आ गए मैं उनका शुक्रगुज़ार हूँ की उन्होंने मुझे इस लायक समझा
जनाब अकील नोमानी साहब ग़ज़ल के बेहतरीन शायर और उनका कलाम सुनिए तो लगता है की आँख बंद कर सुना जाये दिल की गहराइयों तक असर डालने वाला उनका कलाम दिल से ही सुना जाता है......
डॉ. कलीम कैसर साहब जो पिछले १० सालों से गणतंत्र दिवस पर होने वाले दुबई के मुशायरे को आयोजित करने में भूमिका निभाते रहे हैं उनका कलाम भी जैसे सर चढ़ कर बोलता है........
इस मुशायरे की शानदार उपलब्धि जनाब सर्वत जमाल साहब का कलाम रहा उन्हें मैंने पहली बार किसी मुशायरे में सुना उन्हें पढने का इतेफाक मुझे ब्लॉग या नेट के द्वारा ही था लेकिन सुनने का मौक़ा जनाब पवन सिंह साहब के मुशायरे में हासिल हुआ जब वो पढ़ रहे थे तो जनाब वसीम बरेलवी साहब और इशरत आफरीन साहिबा ने खुद उन्हें मुबारकबाद दी जो काबिले तारीफ़ थी...
नुसरत मेहदी साहिबा उनका कलाम काबिले तारीफ़ होता है बेहतरीन लिखती हैं उन्होंने सामाइन का दिल खूब लुटा उन्हें मुबारकबाद
मेघा कसक ग़ज़ल की दुनिया में अभी नयी हैं लेकिन अच्छा पढ़ती हैं उन्होंने बहुत खुबसूरत पढ़ा
मनीष शुक्ल साहब एक प्रशासनिक अधिकारी बहुत खुबसूरत कहते हैं बहुत अच्छा पढ़ा और खूब दाद लुटी उन्हें भी मुबारकबाद
आलोक श्रीवास्तव पत्रकारिता और ब्लॉग्गिंग की दुनिया का जाना माना नाम जब पढ़ते हैं तो फिर लगता है की उन्हें सुनते चले जाओ बेहद कामयाब रहे मुबारकबाद
मदन मोहन दानिश संजीदा लबो लहजे के बाकमाल शायर अपनी छटा बिखेरने पैर आ जाएँ तो क्या कहने मुबारकबाद
शरीफ भारती साहब हास्य की दुनिया का जाना माना नाम बहुत कामयाबी हासिल की उन्होंने
वसीम बरेलवी साहब का तो हमेशा ही अंदाज़ सामाइन को छूता रहा है ......
इशरत आफरीन साहिबा जो अमेरिका में रहकर उर्दू को फरोग दे रही हैं पाकिस्तान मूल की शायरा हैं उन्हें सामईन ने बेहद सराहा
वही पर सर्वत जमाल साहब ने मुझे पुष्पेंदर सिंह साहब से मुलाक़ात कराइ जो अच्छे ब्लोगेर हैं और बहुत अच्छा कहते हैं
कुल मिलकर एक बेहतरीन मुशायरा जिसमें मुझे शिरकत करने का शरफ हासिल हुआ पवन कुमार सिंह साहब और उनके परिवार का मुख्लिसना अंदाज़ मुझे बेहद पसंद आया मैं उनका ममनून हूँ और खुदा से दुआ करूँगा की मैनपुरी में ऐसे मुशायरे उनकी सरपरस्ती में आइन्दा भी होते रहें आमीन