" Anchhue se "
Tanhai ki sargoshiya'n
jab mere saye se
liptne lagti hai’n
chali aati hai'n
tumahari yade'n
mera hamsaya bankar
aur main unke sath
khincha chala jaata hu'n
un wadiyo'n mei'n
jaha'n
pahado'n ki bulandiyo'n se
pate hai'n haunsla mere azm
rawani itrate dariya ki
ban jati hai ishq ki zuba'n
or gulo'n ki mehak jhukh kar
meri rooh mein hone lagti hai paibast
wahi'n kahi'n ba'ant lete hai'n hum
kuch ankhe se ehsaas
or ji lete'n hai'n
kuch lamhe zindagi ke
Aur jab tanhai tut’ti hai
to rah jate hai'n
sirf kuch
jab mere saye se
liptne lagti hai’n
chali aati hai'n
tumahari yade'n
mera hamsaya bankar
aur main unke sath
khincha chala jaata hu'n
un wadiyo'n mei'n
jaha'n
pahado'n ki bulandiyo'n se
pate hai'n haunsla mere azm
rawani itrate dariya ki
ban jati hai ishq ki zuba'n
or gulo'n ki mehak jhukh kar
meri rooh mein hone lagti hai paibast
wahi'n kahi'n ba'ant lete hai'n hum
kuch ankhe se ehsaas
or ji lete'n hai'n
kuch lamhe zindagi ke
Aur jab tanhai tut’ti hai
to rah jate hai'n
sirf kuch
anchhue se andekhe lamhat............
" अनछुए से "
तन्हाई की सरगोशियाँ
जब मेरे साये से
लिपटने लगती हैं
चली आती हैं
तुम्हारी यादें
मेरा हमसाया बनकर
और मैं उनके साथ
खिंचा चला जाता हूँ
उन वादियों में
जहाँ
पहाड़ों की बुलंदियों से
पाते हैं हौंसला मेरे अजम
रवानी इतराते दरिया की
बन जाती है इश्क की जुबां
जब मेरे साये से
लिपटने लगती हैं
चली आती हैं
तुम्हारी यादें
मेरा हमसाया बनकर
और मैं उनके साथ
खिंचा चला जाता हूँ
उन वादियों में
जहाँ
पहाड़ों की बुलंदियों से
पाते हैं हौंसला मेरे अजम
रवानी इतराते दरिया की
बन जाती है इश्क की जुबां
और गुलों की महक झुक कर
मेरी रूह में होने लगती है पैबस्त
वहीँ कहीं बाँट लेते हैं हम
कुछ अनकहे से एहसास
और जी लेते हैं
कुछ लम्हे ज़िन्दगी के
और जब तन्हाई टूटती है
तो रह जाते हैं
सिर्फ कुछ
मेरी रूह में होने लगती है पैबस्त
वहीँ कहीं बाँट लेते हैं हम
कुछ अनकहे से एहसास
और जी लेते हैं
कुछ लम्हे ज़िन्दगी के
और जब तन्हाई टूटती है
तो रह जाते हैं
सिर्फ कुछ
अनछुए से अनदेखे लम्हात ............